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देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए नैतिक मूल्यों की रक्षा है आवश्यक – सुरेश (भैय्याजी जोशी)

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శ్రీ సురేశ్ (భయ్యాజీ) జోషి

नई दिल्ली, 27 दिसंबर. राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच द्वारा आयोजिक संगोष्ठी ‘मंथन’ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश (भैय्याजी) जोशी ने कहा किसेना को सीमान्त क्षेत्र के नागरिकों का सहयोग सीमा की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले ग्रामवासियों का सहयोग जितना सीमावर्ती सेना को मिलता रहेगा उतना उसका लाभ होगा। पड़ोसी अगर हमको दुश्मन मानता है तो यह चिंता का विषय है. देश के अंदर कई प्रकार के अराष्ट्रीय तत्त्व सुरक्षा चुनौती बने हुए है, इसमें हमारी ही कमी है. सरकार से ज्यादा समाज की जागरूकता आंतरिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है.

भैय्याजी ने बताया कि सीमा से लगे देश हमें जब दुश्मन मानते हैं तो समस्याएं और बढ़ जाती हैं. भारत ने कभी पाकिस्तान को दुश्मन नहीं माना है लेकिन पाकिस्तान ने भारत को हमेश दुश्मन ही माना है. चीन को कभी हमने दुश्मन नहीं माना लेकिन चीन ने व्यवहार ऐसा किया की लगता है कि वह दुश्मन के रूप में हमारे सामने खड़ा है. बांग्लादेश के व्यवहार भिन्न प्रकार के हैं जो देश के लिए हितकर नहीं है, घुसपैठ के रूप में शांत आक्रमण। पड़ोसी मित्र बनने चाहिए, लेकिन मित्रता एकपक्षीय नहीं होती, भारत मित्रता में कभी बाधा नहीं बना यह दुनिया को बताने की आवश्यकता है.

श्री जोशी ने कहा कि आज बिना शस्त्रों के जो आक्रमण हो रहा है उसे भी समझने की आवश्यकता है. मादक पदार्थों की तस्करी, फेक करंसी, गो तस्करी करने वाले कौन हैं?  अंदर आए हुए और सीमा के अंदर ही रहकर इस देश के साथ गद्दारी करने वाले तत्व इस देश में विद्यमान हैं, यह हम सबके सामने एक बड़ा संकट है. इस देश की सस्कृति परम्पराओं को नष्ट करने के लिए कई प्रकार के प्रयोग चल रहे हैं. मनुष्य ज्ञानी बने इसके हम विरोधी नहीं हैं लेकिन जब मूल्यों में क्षरण आता है, जीवन में पतन की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है यह किसी भी देश के लिए हानिकारक है. किस प्रकार का साहित्य विदेशों से आता है? दूरदर्शन पर किस प्रकार के भिन्न-भिन्न चित्र दिखाए जाते हैं? भारत में विदेशी चैनल देखने के प्रति बढ़ते रुझान से सावधान रहने की आवश्यकता है. दुनिया में केवल एकमात्र देश ऐसा है जिस देश के दो नाम हैं, एक भारत है एक इंडिया है., भारत कहने से प्राचीन सारी बातों से समाज जुड़ता है उसको उस जड़ से काटने का एक सफल प्रयास अंग्रेजों ने किया, आज भी हम इंडिया छोड़ने को तैयार नहीं हैं. अंग्रेजों द्वारा यह स्थापित करने का प्रयास किया गया कि कोई भारत का नहीं है सभी बाहर से आए हैं, यह आर्यव्रत है तो आर्य भी तो उत्तर ध्रुव से आए,  फिर मुग़ल आए, फिर अंग्रेज आप पुराने हम नए  इस मिथक को स्थापित किया अंग्रेजों ने.  इस षड्यंत्र के आगे समाज का प्रबुद्ध वर्ग झुक गया और मानने लगा की हम भी बाहर से आए. यह देश बार-बार खड़े कैसे होता है? देश में सक्रिय विघटनकारी शक्तियों पता लग चुका है कि यह देश न शस्त्रों के भय से समाप्त हुआ है, न मिथक फ़ैलाने से समाप्त हुआ, भारत नैतिक मूल्यों पर चलने वाला देश है इस देश के नैतिक जीवन मूल्यों को समाप्त करो, देश समाप्त हो जाएगा, आज जो युद्ध चल रहा है यह इस प्रकार का युद्ध है.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि आज जो इतनी बड़ी मात्रा में व्यसनाधीनता हुई है, समाज भोगवाद का शिकार बना है और इस कारण व्यक्ति आत्मकेंद्रित बनता जा रहा है यह चुनौती हमारे सामने है. इससे अगर समाज को सुरक्षित रखना है तो स्वाभाविक रूप से सामाजिक और धार्मिक नेतृत्व को सफलतापूर्वक सागे आना होगा.

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने बताया कि .देश की सुरक्षा को सबसे ज्यादा खतरा आधुनिक जयचंदों और मीरजाफरों से है. इसके लिए राष्ट्रवाद से युक्त और देश की सुरक्षा से समझौता न करने वाले देश का निर्माण करने की आवश्यकता है.  समाज के अंदर देशप्रेम हिलोरे ले और सभी सजग नागरिक बनकर रहें यह इस कार्यक्रम का उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि भारत ही एकमात्र देश है जिसने सभी धर्मों को स्वीकारा व सम्मान दिया है. आपने जीवन नैतिक मूल्यों के कारण सबसे ज्यादा लोगों को शरण भारत ने ही दी है. जीवन मूल्यों के ह्रास के कारण क्राइम और करप्शन बढ़ा है. टेक्नोलोजी विकास का साधन बने विनाश का नहीं, यूरोप के देशों की सीमाएं आर्मी रहित हैं, भारत को बहुत बड़ी राशि सीमा की रक्षा के लिए खर्च करनी पड़ रही है.

एयर मार्शल डॉ. आर.सी. बाजपाई ने बताया कि देश तभी तरक्की कर सकता है जब सीमाएं सुरक्षित हों. चीन विस्तारवादी देश है उससे सावधान रहने की जरूरत है. पड़ोसी देशों से हो रही मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती है.

समाप्त..

Indresh ji