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देश की एकजुटता के लिए बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा ले जनजातीय समाज – श्री रामेश्वर तेली

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नई दिल्ली, 15 नवम्बर (इं.वि.सं.के.)। वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा अशोक विहार स्थित सनातन भवन में बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजाति गौरव दिवस आयोजित किया गया। उत्तर पूर्व भारत में बड़ी संख्या में हुए धर्मान्तरण पर चिंता प्रकट करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने बताया कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों से जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संग्राम किया था। एक समय बिरसा मुंडा ने भी क्रिश्चैनिटी को अपना लिया था लेकिन बाद में पुनः सनातन धर्म में आ गए और अपने समाज, धर्म, संस्कृति की रक्षा साम्राज्यवादी मिशनरी धर्मान्तरण से की। उन्होंने बिरसा मुंडा के जीवन को जानने की जनजाति समाज से अपील करते हुए देश की सनातन मुख्यधारा में बने रहने का आह्वान किया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के नाते आमंत्रित जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजकिशोर हांसदा जिन्होंने संथाली समाज और समग्र हिन्दु समाज में धार्मिक साम्यता कैसी है, इस पर शोघ निबंध लिख कर डॉक्टरेट की उपाधी पाई है, उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने इतनी कम आयु में देश, समाज, धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया। बिरसा मुंडा की जन्म व कर्म भूमि झारखंड आज कई प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त है। उनका जन्म स्थान खूंटी जिला जो बिरसा मुंडा के नाम से प्रसिद्ध था आज वो देश और समाज को तोड़ने वाले षड्यंत्रकारियों का स्थान बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे जनजाति समाज को सनातन धर्म, सनातन संस्कृति और देश की मुख्य धारा से अलग करने का बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। एक तरफ विदेशी मिशनरियों द्वारा दूसरी तरफ से वामपंथी और तीसरा वामसेफ है जो समाज को तोड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं। यह लोग जनजातीय समाज को भ्रमित करते हैं कि तुम हिन्दू नहीं, सनातन धर्म से अलग हो इसलिए तुम्हारा अलग धर्म कोड होना चाहिए। लेकिन भारत में अलग धर्म कोड होने की कोई जरूरत नहीं है यह ईसाई मिशनरियों का जनजातीय समाज को हिन्दू समाज से अलग करने का बहुत बड़ा षड्यंत्र है। यही लोग झारखंड में बोलते हैं सरना धर्म अलग कोड होना चाहिए, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बोलते हैं कि गोंड धर्म अलग कोड होना चाहिए, गुजरात और राजस्थान में भीलों को अलग करने के लिए भीलों के लिए अलग कोड की बात करते हैं। देशभर में 11 करोड़ जनजाति समाज को देश की मुख्यधारा से अलग-थलग करके उनका ईसाईकरण करने का यह सुनियोजित षड्यंत्र है।

डॉ. हांसदा ने बताया कि यह सम्राज्यवादी विचारधारा है जो ब्रिटिशकाल से शुरु हुई। एक दूसरी षड्यंत्रकारी विचारधारा जो अरब देशो से यहां आई, उनका तरीका संख्या बढ़ाने का है। आज बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम झारखंड और असम में बड़ी संख्या में बस गए हैं और जनजाति समाज की जमीन पर अवैध कब्जा करके वहां की बेटियों को लव जिहाद में फंसा कर धर्मान्तरण कर रहे हैं। मिशनरी षड्यंत्रकारी समाज में विभेद उत्पन्न कर जो खाई पैदा कर रहे हैं वनवासी कल्याण आश्रम उस खाई को पाटकर समाज को एक करने का काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि आज भी जनजातियों में व्यवहार की बहुत सी बातें वेदों से मिलती हैं।

अपना वतन अपनी ही होता है से लेकर कलम 370 एवं रामजन्मभूमि जैसे वर्तमान विषयों पर गजेन्द्र सोलंकी का काव्यपाठ सभी में उत्साह का संचार कर गया। वनवासी कल्याण आश्रम दिल्ली के अध्यक्ष श्री शांति स्वरूप बंसल ने अंत में सभी अतिथियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि हिन्दू जीवन का वास्तविक स्वरूप व्यवहार में देखना है तो वनवासी क्षेत्रों व गांवों की कुछ समय यात्रा करें, वहां भारत का मूल स्वरूप आज भी कायम है। इससे पूर्व कार्यक्रम में प्रज्ञा आर्ट थियेटर ग्रुप दिल्ली द्वारा बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित एक लघु नाटक ‘बिरसा मुंडा’ का मंचन किया गया, जिसमें वनवासी क्षेत्रों में ईसाई धर्मान्तरण के विरुद्ध बिरसा मुंडा के संघर्ष को सभी ने मंत्रमुग्ध होकर देखा व सराहना की। इस अवसर पर विशेष रूप से लिथुआनिया देश के जनजातीय समाज से आए अतिथि सम्मिलित हुए जो आज भी वैदिक परंपराएं बचाए हुए हैं और क्रिश्चैनिटी से अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ज्ञान प्रकाशन द्वारा 16 खण्डों में प्रकाशित ‘एनसायक्लोपिडीया मुण्डारिका’ उन्हें भेट दी गई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के नाते चिकित्सा अधिकारी एवं प्रभारी ई.एस.आई. डिस्पेंसरी वजीरपुर के डॉ. सनिका होरो उपस्थित थे।