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अखिल भारतीय हिन्दू गोर बंजारा एवं लबाना – नायकड़ा समाज कुंभ 2023

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दि. 25 जनवरी 2023 से 30 जनवरी 2023 तक जलगांव जिले के जामनेर तहसील स्थित गोद्री ग्राम में अखिल भारतीय हिंदू गोर बंजारा व लबाना – नायकडा समाज का कुंभ आयोजित होने जा रहा है। संपूर्ण भारतभर में प्रस्थापित हिंदू गोर बंजारा व लबाना-नायकडा समाजों को एकत्रीत कर सनातन विचार, योग्य दिशा एवं प्रेरणा देने हेतू कुंभका आयोजन किया गया है।

भूमिका

गत अनेक वर्षों से ख्रिस्ती मिशनरी बंजारा समाज को भ्रमित कर, झूठी बातें फैलाकर एवं बहला-फूसलाकर उनका धर्मांतरण कर रहें है। बंजारा समाज के इतिहास, संस्कृति, धर्म, परंपराओं के बारे में अनेकों अपप्रचार और झूठी बातें प्रसारित करने का प्रयास असामाजिक शक्तियों की तरफ से निरंतर हो रहा है। इसी कारणवश मोहंजोदडो (मौवना नगरी)-सप्तसिन्धु के नायक, महान हिन्दू धर्म रक्षक, जिनका हजारों वर्षों का इतिहास है, ऐसी परंपराओं का एवं संस्कृति का पालन करनेवाले हिंदू गोर बंजारा व लबाना नायकडा समाज में जागृति एवं संवर्धन कर के समाज की सर्वांगीण प्रगति हेतू महाराष्ट्र के भूमि में यह ऐतिहासीक कुंभ आयोजित हो रहा है।

आवश्यकता :

उपरोक्त बंजारा समाज की होने वाली सांस्कृतिक व सामाजिक हानि धर्म जागरण समन्वय की ओर से बंजारा समाज के प्रमुख संत व धर्मगुरूओं की संज्ञान में लाई गई थी। बंजारा समाज के तेलंगाना, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में करीबन 11500 टांडे है उसमे से तेलंगाना में 3600 से अधिक तांडो पर ख्रिस्तीयों का प्रभाव है। महाराष्ट्र, कर्नाटक में अनेक तांडोपर मतांतरण के लिए प्रयत्न हो रहे हैं। मराठवाड़ा के कुछ तांडो पर चर्च शुरू हुए हैं। ऐसी इन गंभीर समस्याओं पर विचार-विमर्श कर के, बंजारा समाज में जागृति लाकर योग्य दिशा देने हेतू प्रमुख संत, धर्मगुरू व बंजारा समाज के नेतृत्व में इस कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। भारत में 18 ईसाई संगठन वर्तमान में कार्यरत हैं जिन्हें अमेरिका व अन्य विदेशी संस्थाओं से सीधे सहायता मिलती है। ग्लोबल बंजारा बाप्टिस्ट मिनिस्ट्रीज इंटरनेशनल (जीबीबीएमआई) संगठन का लक्ष्य है कि हर बंजारा गांव में अथवा तांड़े पर कम से कम एक घरेलू चर्च अथवा प्रार्थना केंद्र स्थापित होना चाहिए। विद्यालय, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, सेवाकार्य जैसे माध्यम से बंजारा समुदाय तक पहुंचकर उन्हें ईसाई बनाने के कई प्रोजेक्ट सक्रिय हैं। सन् 1999 में ईसाई धर्मगुरू पोप जॉन पॉल जब दिल्ली में आए थे, तब उन्होंने कहा था, “पहली सहस्त्राब्दी में (एक हजार वर्षों में) हमने पूरे यूरोप को ईसाई बनाया, दूसरी सहस्त्राब्दी में अफ्रीका और तीसरी सहस्त्राब्दी में एशिया महाद्वीप को ईसामय बनाने का हमारा लक्ष्य है जिसकी शुरूआत हमें भारत से करनी है।”. तबसे भारत में ईसाई मिशनरी संगठनों ने योजनापूर्वक हिंदू समाज के कुछ घटकों को परिलक्षित कर उनका धर्मांतरण किया है। इस देशविरोधी षड्यंत्र का एक हिस्सा है गोर बंजारा, लबाना व नायकड़ा समुदाय का धर्मांतरण।

जनसंख्या पृष्ठभूमि :

देश मे 1872 से जनगणना होती है। प्रति दस वर्ष मे जनगणना होती है। जनगणना 2021 यह सोलहवी जनगणना रहेगी। 2011 मे हुई जनगणना के अनुसार ईसाइयों की जनसंख्या यह 2.3% रही है। किन्तु देश मे प्रतिवर्ष लाखों की संख्या मे हिन्दू समाज के कुछ घटक अपनी हिन्दू आस्था छोड़कर ईसाई पद्धति स्वीकार कर रहे है। तो देश मे ईसाई जनसंख्या का अनुमान यह 9 % तक रहेगा। इन सभी के कारण मतांतरण से हिन्दू जनसंख्या कुछ स्थानों पर घटती हुई दिखाई दे रही है। देशभर मे ऐसे कुछ राज्य है जिनमे ईसाई जनसंख्या यह 90 % से अधिक है। और कुछ राज्यों मे ईसाई मतांतरण गति से हो रहा है। जिसमे आंध्र, पंजाब जैसे राज्य है। इस पूरे विषय को देखते हुए ईसाइयों की छुपी जनसंख्या (Crypto Christians) बढ़ रही है यह चिंता का विषय है। काफी वर्षों से इस देश मे विदेशी धन के आधार पर देश मे मतांतरण का खेल खेला जा रहा है। इसी का एक भाग बंजारा , लबाना और नायकड़ा समाज है। जिसमे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक व महाराष्ट्र राज्यों में हिंदू गोर बंजारा, लबाना व नायकड़ा समुदाय की संख्या अधिक है जिनके लगभग 11,591 हजार तांडे हैं। उनमें से 3678 तांड़ों पर ईसाई प्रभावित क्षेत्र हो चुके है। बंजारा समुदाय के साधू-संतों द्वारा स्वयं विभिन्न तांड़ों पर जाकर इस भयानक सच्चाई की पुष्टि की है।

ओआरपी और आरएनएस :

जनगणना के जानकारी देते समय दो बिन्दु उसमे होते है। जिसमे एक बिन्दु है ओआरपी (Other Religion Persuation) और जिसका अर्थ है अन्य धर्म मतावलंबी। याने देश मे संविधान सम्मत जिन्हे धर्म की मान्यता दी है उनमे से एक धर्म का चयन करना होता है। देश मे इस कारण अन्य धर्म की मांग उठ रही है। दूसरा बिंदू है आरएनएस (Religion Not Stated)। इसका अर्थ हमारा कोई धर्म नहीं है। इन दो बिन्दुओ के आधार पर 3500 जाती अंतर्गत संघर्ष और अराजकता निर्माण करने का प्रयत्न हो रहा है। जिसके के कारण समाज मे “हम हिन्दू नहीं है” ऐसा लिखने वालों की संख्या कम होगी। यह भारत देश के लिए घातक रहेगा। इन दोनो बिन्दुओ को 2001 और 2011 क्या जनगणना के समय ही षड्यंत्र पूर्वक लाया गया है। इसीलिए गोर बंजारा समाज में दो बड़ी चुनौतियां सामने आईं है । एक है ईसाई धर्म का प्रचार और दूसरा है गोरधर्म याने अलग धर्म का प्रचार। तेलंगाना, विदर्भ, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के प्रांतों में धर्मांतरण की दर बहुत बढ़ गई और महाराष्ट्र में अपप्रचार शुरू किया गया कि बंजारे हिंदू नहीं बल्कि उनका गोरधर्म हैं। इसलिए बंजारा समुदाय के पूज्य संतों, और सज्जनों ने पहल की और कुंभ करने का फैसला किया।

आयोजक :

बंजारा समाज के संत तथा धर्मगुरू प. पू. श्री.बाबुसिंग जी महाराज (धर्मगुरू पोहरागड), प.पू. महंत 1008 श्री रामसिंग जी महाराज (काळूबाबा देवस्थान तेलंगाना), प.पू. 1008 श्री चंद्रसिंग जी महाराज (श्री गुरुसाहिब धाम, मलाजपूर, मध्यप्रदेश), प. पू. श्री गोपालजी चैतन्य महाराज (गादीपती, वृंदावन धाम, पाल), प. पू. श्री.सुरेशजी महाराज (भागवत कथाकार, लबाना- नायकडा समाज), श्री श्यामजी चैतन्य महाराज (अध्यक्ष, संचालन समिती गोद्री) आदि संत-महंत इस कुंभ के आयोजन के लिए कार्यरत हैं। सभी संत और सज्जन गण तांडोपर जा कर समस्त समाज को कुंभ का निमंत्रण दे रहें हैं।

स्थान महत्व :

‘गोद्री’ यह कुंभस्थान पूज्य धोंडीराम महाराज के पदस्पर्श से पावन एवं ऐतिहासिक भूमि है। बंजारा और नायकड़ा समाज की बस्ती यहा बड़े पैमाने पर है। प.पु धोंडीराम बाबा के पिता का नाम हरि डांगर था। बाबा का जन्म 1803 में नानंग, तालुका – पुसद, जिला – वाशिम के पास हुआ था और 1872 में गोद्री टांडा में बस गए थे। गायों को चराना, दूध दुहना, नमक (लदेनी), घूमना, सूत कातना आदि काम बाबाजी करते थे। बाबाजी गुरु साहेब के परम भक्त थे। वे उस समय के एक प्रसिद्ध प्राचीन चिकित्सक के रूप में जाने जाते थे। बाबा ने अपना पूरा जीवन गौसेवा और जनसेवा में लगा दिया। बाबाजी का भव्य मंदिर गोद्री टांडा में है। यहा के समाज मे बाबाजी के प्रति अतीव प्रेम और श्रद्धा है। 1898 में गोद्री टांडा में बाबा की मृत्यु हो गई। बाबाजी के स्मृति मे यह श्री बालाजी संगत और श्री गुरुनानक देव जी भंडारा का भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमे इस क्षेत्र के हजारों भक्त सहभागी होते है। सभी प्रमुख संतों की उपस्थिती में की गई श्रीक्षेत्र पोहरागड स्थित एक बैठक में एकमत से “गोद्री” का चयन कुम्भ के लिए किया गया। बंजारा समाज का धर्मांतर रोकने और समाज जागरण हेतु इस भव्य कुंभ का आयोजन हो रहा है।

धर्म जागरण समन्वय की भूमिका :

कुंभ की व्यवस्था संघ स्वयंसेवक व बंजारा समाज का युवावर्ग कर रहा है। इसलिए 3 हजार स्वयंसेवक दो महिने से नियोजन एवं बैठकों के माध्यम से निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। प्रत्यक्ष कुंभ 500 एकड विशाल भूमिपर साकार हो रहा है। कुंभके छह दिनों में 10 से 12 लाख भाविक विविध 8 राज्य से पधारेंगे, ऐसा प्राथमिक अंदाज है। जब-जब राष्ट्रहित एवं समाज हितों की आवश्यकता होगी, तब-तब धर्म जागरण मंच से वैधानिक और सुयोग्य मार्गसे अपना योगदान देते रहेंगे, ऐसी निरंतर भूमिका रही है। इससे पूर्व संपन्न हुए शबरी कुंभ अथवा नर्मदा कुंभ में भी धर्म जागरण स्वयंसेवकों ने सेवाभाव से अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। इसी ध्येय से धर्म जागरण स्वयंसेवक गोद्री में होने वाले बंजारा कुंभ की यशस्वीता हेतू कुंभ में सहभागी हुए हैं।

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